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इन गोत्रों में कुलदेवी की रूप में पूजी जाती सच्चियाय माता

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सैन समाज के विभिन्न गोत्रों की कुलदेवी परिचय की श्रंखला में प्रस्तुत हैं सच्चियाय माता की जानकारी। सच्चियाय माता का मंदिर राजस्थान के जोधपुर जिले के ओसियां में स्थित है। यह ओसियां मंदिर के नाम से भी फेमस है। जोधपुर के सबसे बड़े और राजस्थान के प्रसिद्ध मंदिरों की सूची में यह मंदिर शामिल है।

सैन इंडिया डॉट कॉम ने सैन समाज के विभिन्न गोत्रों की कुलदेवियों के बारे में जानकारी जुटाने का अभियान चला शुरू किया है। जयपुर निवासी योगेंद्र सखवाया ने अपने गोत्र की कुलदेवी के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हमारे से साथ शेयर की। उनके मुताबिक सैन समाज में सखवाया गोत्र की कुलदेवी सच्चियाय माता जी है। आम बोलचाल में सचिया माता भी कहते है।

सच्चियाय माता

यह मंदिर जोधपुर से करीब 63 किमी. दूर ओसियां में स्थित है। इस भव्य मंदिर का निर्माण 9वीं या 10वीं सदी में उपेन्द्र ने करवाया था। एक अन्य लोकमान्यता के अनुसार लगभग तीन हजार वर्ष पूर्व परमार वंश के राजपूत राजा उत्पलदेव पंवार ने नवलखा तालाब से मिली स्वर्ण मुद्राओं से श्री सच्चियाय माताजी के इस विशाल मन्दिर का निर्माण करवाया था।

माता की मूर्ति स्वयंभू प्रकट है। महिषासुर मर्दिनी के स्वरूप वाली प्रतिमा की चार भुजा है। जिनमें क्रमशः तलवार,ढाल,ध्वजा एवं त्रिशूल धारण किए हुए हैं।

सैन समाज के इन गोत्रों के लिये खास है हजारों साल पुराना देवी का यह मंदिर

कुलदेवी के रूप में पूजते हैं

सैन (नाई) के साथ ही राजपूत, ब्राह्मण, माहेश्वरी, जैन, जाट, विश्नोई, सोनार, दर्जी, माली, मेघवाल, परमार, कुमावत, पारीक सहित अनेक समाजों में कई गोत्र ऐसे हैं जो सचिचयाय माता को कुलदेवी मानते हैं। नवरात्रि मे स्वर्ण आभूषण से सुसज्जित सच्चियाय माताजी के स्वरूप के दर्शन अद्भुत होते हैं। इस दौरान बड़ी संख्या में माता के भक्त दर्शन के लिये ओसियां आते हैं। माता को हर दिन अलग-अलग तरह की पोशाक धारण करवाई जाती है और विभिन्न मिष्ठानों का भोग लगाया जाता है। अष्टमी पर यहां हवन कार्यक्रम होता है रात्रि को पूर्णाहूति होती है।

OBC Certificate : जरूरी जानकारी

आप भी अपनी कुल देवी के मंदिर के बारे में सैन इंडिया के साथ जानकारी साझा कर सकते है। अधिक जानकारी के लिये आप हमारे नंबर 8003060800 पर संपर्क कर सकते है।

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जनहित की खबर: जरुरी है जन आधार कार्ड, घर बैठे भी कर सकते है रजिस्ट्रेशन

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जन आधार

आप राजस्थान के निवासी है और अभी तक आपने जन आधार कार्ड नहीं बनवाया है तो देरी ना करें। तत्काल रजिस्ट्रेशन कर लें। सरकार की मंशा है कि ​जितनी भी सरकारी योजनाएं है, उनका लाभ इसी कार्ड से  उपलब्ध कराया जाए।

 

जन आधार ‘एक नंबर, एक कार्ड, एक पहचान’ योजना है। राजस्थान में सरकारी योजनाओं का लाभ इस कार्ड पर मिलेगा। जन आधार के लिए रजिस्ट्रेशन का तरीका सरल है। इंटरनेट सुविधा होने पर रजिस्ट्रेशन अपने मोबाइल या कम्प्युटर से कर सकते है। ई-मित्र पर जाकर भी जन आधार के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है। यह नि:शुल्क है।

हमारे सैन समाज के बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें इस योजना की जानकारी नहीं है। इस लेख में राजस्थान जन आधार कार्ड क्या है?, जन आधार के लाभ, जन आधार कैसे बनवाएं, जन आधार के लिए जरुरी दस्तावेज पर चर्चा करेंगे। यहां मैं यह भी स्पष्ट करना चाहूंगा कि इस पोस्ट में जो जानकारी है वह 15 मई 2021 तक अपडेट है। अधिक व ताजा जानकारी के लिए राजस्थान सरकार की वेबसाइट पर विजिट कर सकते है।

जन आधार कार्ड क्या है? (Rajasthan Jan Aadhaar Card)

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जन आधार कार्ड योजना लागू की है।  कार्ड को परिवार एवं उसमें शामिल सदस्यों की पहचान और पते दस्तावेज के रूप में मान्यता दी गई है। जन आधार कार्ड में प्रत्येक परिवार को 10 अंकों की एक परिवार पहचान संख्या एवं सदस्यों को 11 अंकीय व्यक्तिगत पहचान संख्या दी गई है। यह कार्ड बहुउद्देशीय है । यानि आप राज्य सरकार की विभिन्न जन-कल्याण की योजनाओं का लाभ इस कार्ड से प्राप्त कर सकते है। इन योजनाओं में आवेदन के लिए आपके पास जन आधार नंबर होना जरुरी है। दरअसल, पूर्ववर्ती सरकार ने विभिन्न तरह की 56 योजनाओं के लिए भामाशाह योजना शुरू कर पात्र परिवारों को कार्ड जारी किए थे। भामााशह योजना को दायरा बढ़ा कर उसका नाम जन आधार किया गया है।

जन आधार कार्ड नहीं है, वह क्या करें

अब सवाल उठता है कि बहुत से नागरिक ऐसे हैं जिनके पास जन आधार कार्ड नहीं है। उन्हें क्या करना चाहिए। इस मामले में सरकार ने रियायत दी है। सरकार का कहना है कि जब तक लाभार्थी की जन आधार कार्ड संख्या जारी नहीं हो जाती तब तक वह इस कार्ड के लिए आवेदन के समय प्राप्त नामांकन रसीद का उपयोग कर सकता है। यानि जन आधार कार्ड ना होने की स्थिति में भी नामांकन रसीद संख्या का उपयोग करके विभिन्न योजनाओं का लाभ प्राप्त कर सकते है।

जन आधार कार्ड के लिए पात्रता

  • आवेदक राजस्थान का स्थायी निवासी होना चाहिए।
  • जन आधार कार्ड परिवार द्वारा निर्धारित 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिला को परिवार की मुखिया बनाया जाता है।
  • यदि परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिला नही हैं तो 21 वर्ष या उससे अधिक आयु का पुरूष मुखिया हो सकता है।
  • यह कार्ड राजस्थान का निवासी कोई भी व्यक्ति बनवा सकता है।

Online Registration कैसे करें

सरकार ने राजस्थान जन आधार पोर्टल लांच किया है। जो राजस्थान जन आधार कार्ड के लिए आवेदन करना चाहते हैं वह इस पोर्टल पर तय प्रक्रिया को फॉलो कर के आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए आवेदक को सबसे पहले जनाधार कार्ड योजना की ऑफिसियल वेबसाइट https://janapp.rajasthan.gov.in/janaadhaar/citizenDashboard पर जाना होगा।होम पेज पर आपको Jan Adhaar Enrollment का ऑप्शन दिखाई देगा। इस विकल्प पर क्लिक करे। अब आगे का पेज खुल जायेगा इस पेज पर आपको Citizen Registration का ऑप्शन दिखाई देगा इस ऑप्शन पर क्लिक करे।

इस पर क्लिक करने के बाद आपके सामने Application Form खुल जायेगा। इसमें पूछी गयी सभी जानकारी जैसे नाम ,आधार नंबर, मोबाइल नंबर, लिंग और जन्मतिथि भर कर सबमिट का बटन क्लिक करें। इसके साथ ही आपको रजिस्ट्रेशन नंबर मिल जाएगा। अभी यह प्रक्रिया अधूरी है। इसके बाद आपको स्वयं का फोटो, सदस्यों का फोटो, सभी के आधार नंबर, जन्म तारीख आदि जानकारी संबंधी अपने डॉक्यूमेंट अपलोड करने होंगे। इसके बाद आपका आवेदन वैरिफिकेशन के सबमिट होगा। जन आधार कार्ड बनने तक आप रजिस्ट्रेशन नंबर से योजनाओं के लिए आवेदन कर सकते है।

जन-आधार पहचान संख्या मोबाइल पर प्राप्त करने का तरीका

SMS द्वारा

अपनी जन-आधार पहचान संख्या अपने मोबाइल नंबर पर SMS के माध्यम से प्राप्त कर सकते है। निवासी जन-आधार पहचान संख्या को प्राप्त करने हेतु अपनी जन-आधार नामांकन संख्या अथवा आधार संख्या अथवा रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर का उपयोग कर सकता है‚ इसके लिए नागरिक को अपने मोबाइल नम्बर से निम्नलिखित में से किसी एक प्रारूप में 7065051222 पर एस.एम.एस. करना होगा।

 JAN<space>JID<space><15 अंकीय जन आधार नामांकन संख्या>

 JAN<space>JID<space><12 अंकीय आधार संख्या >

 JAN<space>JID<space><10 अंकीय मोबाइल नंबर>

मोबाइल एप द्वारा

निवासी अपनी जन-आधार संख्या और ई-कार्ड मोबाइल एप के माध्यम से प्राप्त कर सकते है। यह मोबाइल एप प्ले स्टोर पर “Jan Aadhaar” नाम से उपलब्ध है।

लिंक – https://play.google.com/store/apps/details?id=com.risl.janaadhaarapp

उम्मीद है यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। सैन (नाई) समाज के ताजा सामाचार प्राप्त करने के लिये फेसबुक पर लाइक करें और ट्विटर पर फॉलो करें। सैन समाज से जुड़ी जानकारी एवं समाचार आप हमारे माध्यम से पूरे समाज के साथ शेयर करें। यदि आपके पास कोई जानकारी या सूचना है तो हमें आवश्य भेजे। WHATSAPP NO. 8003060800.

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जमवाय माता को सैन समाज के कई परिवार मानते है कुलदेवी

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जमवाय माता भगवान राम के पुत्र कुश के वंश कछवाहा की कुलदेवी है। सैन समाज में कुछ परिवार ऐसे हैं जो जमवाय माता को कुलदेवी के रूप में पूजते है।

अयोध्या के राम जन्म भूमि प्रकरण में श्रीराम के वंशज का मामला देशभर में चर्चित है। जयपुर के पूर्व राजघराने की ओर से श्रीराम का वंशज होने का दावा गया गया है। एमपी और पूर्व राजपरिवार की सदस्य दीया कुमारी ने पोथीखाना में उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर यह दावा किया है। उन्होंने कहा कि जयपुर राजपरिवार की गद्दी भगवान राम के पुत्र कुश के वंशजों की है। भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज होने से ढूंढाड़ के राजा कछवाहा कहलाने के साथ राम की 309वीं पीढ़ी में मानते हैं।

यह जानकारी का उल्लेख इसलिये किया गया है कि जमवाय माता मुख्यत: कछवाहा वंश की कुलदेवी है। आज भी राजपरिवार के सदस्य यहां ढोंक लगाने जाते है। ऐसा नहीं है कि जमवाय माता केवल कछवाहा वंश की कुलदेवी है। दूसरी जातियों में कई परिवार ऐसे हैं जो माता को कुलदेवी के रूप में पूजते है। सैन समाज में भी कई परिवार ऐसे हैं जो जमवाय माता को कुलदेवी मानते है। खासकर जयपुर, दौसा, अलवर में रहने वाले सैन समाज के कई परिवारों कुलदेवी जमवा माता या जमवाय  माता है। जयपुर निवासी महेश कुमार सैन ने बताया कि उनका गोत्र आमेरिया अजमेरिया है। उनके परिवार में  माता को कुलदेवी के रूप में पूजते है।

जमवाय माता का मंदिर कहां है

जमवाय माता का मंदिर जयपुर शहर से करीब 55 किमी दूर है। मंदिर जयपुर कई साल तक प्यास बुझाने वाले जमवा रामगढ़ बांध से मात्र एक​ किलोमीटर दूर है। आसपास पहाड़ियां है और यह जमवा रामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में आता है। बारिश के दिनों में यहां आसपास झरने बहते है। इन दिनों यहां गोठ और पिकनिक के आयोजन होते है। यहां तक पहुंचने के जयपुर से प्राइवेट और सरकारी बसें उपलब्ध है। जयपुर से नारायणी धाम, अलवर का एक रास्ता भी जमवा माता मंदिर होकर जाता है। नारायणी धाम के लिये जयपुर से पैदल परिक्रमा का पड़ाव भी यहां होता है। नवरात्रों में यहां दर्शनार्थियों की संख्या ज्यादा रहती है।

जमवाय माता की कथा

जयपुर के नजदीक यह इलाका पहले मांच के नाम से जाना जाता था। एक बार राजा दूल्हाराय ने मांच पर हमला कर मीणों से युद्ध किया। इस युद्ध में वे हार गये और रणभूमि में मूर्छित हो कर गिर पड़े। रात में बुढवाय देवी रणभूमि में आई और दूल्हाराय के सिर पर हाथ फेरा। उनकी मूर्छा टूटी तो माता ने खुद को जमवाय नाम से पूजने और मन्दिर बनवाने का वचन मांगा। दूल्हाराय ने मां को वचन पूरा करने का भरोसा दिलाया। उनकी सेना ​जीवित हो गई और फिर उन्होंने मांच पर हमला बोला। इसमें उनकी जीत हुई। इसके बाद ये मंदिर बनवाया।

यहां के बारे में एक और घटना का भी जिक्र मिलता है। राजा कांकील भी मीणों के साथ युद्ध करते हुए सेना के साथ मूर्छित होकर रणक्षेत्र में गिर पड़े। तब भी जमुवाय माता सफेद धेनु (गाय) के रूप में प्रकट हुई। उन्होंने दूध की वर्षा कर पूरी सेना को जीवित कर दिया। माता ने शत्रु पर विजय प्राप्त कर आमेर बसाने की आदेश दिया।

माता के मन्दिर के गर्भगृह में माता की प्रतिमा के दाहिनी तरफ धेनु एवं बछड़े व बायीं ओर बुढ़वाय माता की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर परिसर में शिवालय एवं भैंरव का स्थान भी है। राजा ने अपने आराध्य देव रामचंद्र एवं कुलदेवी जमुवाय के नाम पर मांच का नाम जमुवाय रामगढ़ रखा गया। जो बाद मे जमुवा रामगढ़ के रूप में जाना जाने लगा।

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सैन समाज के कई परिवारों की कुलदेवी है जीण माता

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जीण माता कई परिवार एवं गोत्रों की कुलदेवी है। सैन समाज में भी कई गोत्र ऐसे हैं जो जीण भवानी को कुलदेवी मानते है। जीण माता मां दुर्गा का रूप है।

जीण माता के दरबार में गोपाल मारवाड़ी और उनकी पत्नी

महाराष्ट्र से सैन समाज के गोपाल मारवाड़ी ने जानकारी दी है कि उनका गोत्र जलवानी है। जलवानी गोत्र के कई परिवार कुलदेवी के रूप में जीण माता को पूजते है। रवि चांगिल के अनुसार, उनके भी परिवार में कुलदेवी के रूप में जीण माता को पूजा जाता है। जीण माता के यूं तो देशभर में कई मंदिर है। प्राचीन और असली मंदिर राजस्थान में है। सीकर में गोरिया से कुछ किमी दूर यह भव्य एवं प्राचीन मंदिर स्थित है।

जयपुर से जीण माता की दूरी तकरीबन 115 किमी है। जबकि प्रसिद्ध खाटू धाम से माता का मंदिर 27 किमी. है। जीण माता से सालासर धाम की दूरी करीब 75​ किमी. है। खाटू श्याम जी, जीण माता और सालासर बालाजी के प्रति गहरी धार्मिक आस्था है। इसी वजह से यहां हर दिन भक्त पहुंचते है। मेेले के मौके पर यहां लाखों भक्त पहुंचते है। जीण माता के मंदिर को लेकर एक मान्यता यह भी है कि यह मंदिर पांडवों ने बनाया था। अज्ञातवास का कुछ समय पांडवों ने यहां बिताया था। एक अन्य मान्यता के अनुसार, यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना है।

माता के चमत्कार की कई कहानियां है। मुगल शासक औरंगजेब ने इस मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया। उसने अपनी सेना यहां भेज दी।  तभी मधुमक्खियों के झुंड ने मुगल सेना पर हमला बोल दिया। सेना को पीछे हटना पड़ा। इतना ही नहीं औरंगजेब भी बीमार पड़ गया। बाद में उसने माता के दरबार में अखंड जोत जलवाने की व्यवस्था का भरोसा दिलवाया, तब वह ठीक हुआ। उसके समय इस परम्परा का निर्वाह हुआ।

जीण माता की कहानी

जीण माता का असली नाम जयंतीमाला था। जीण अपने भाई हर्ष से बेहद प्रेम करती थी। एक बार जीण और उसकी भाभी के बीच बहस छिड़ गई कि हर्ष उनमें से किसको ज्यादा चाहते है। इसकी परीक्षा के लिये उन्होंने तय किया पानी लाते समय हर्ष सबसे पहले जिसके सिर से घड़ा उतारेंगे, उससे ज्यादा प्रेम करते है। दोनों पानी से भरा घड़ा लेकर घर पहुंचती है। दोनों के बीच विवाद से अनजान हर्ष सबसे पहले अपनी पत्नी के सिर से घड़ा उतारते है। यह देखकर जीण को गुस्सा आ जाता है और सब कुछ छोड़कर काजल पर्वत पहुंच जाती है और वहां देवी तपस्या करने लगती है। हर्ष को जब पूरी बात पता चलती है तो दुख होता है। वह जीण को मनाने जाते है लेकिन, जीण अपनी तपस्या तोड़ने को राजी नहीं होती। ऐसे में हर्ष भी पर्वत पर जाकर भैंरों की तपस्या करने लगते है। जीण माता को देवी रूप और हर्ष को भैंरों पद प्राप्त होता है।

सम्मान पा कर अभिभूत हुये बुजुर्ग और प्रतिभाएं

जीण माता के भक्त

जीण माता के प्रति भक्तों में अगाध श्रद्धा है। माता के भक्त पूरे राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात समेत देश के अधिकांश राज्यों में है। विदेशों में भी माता के भक्त हैं। राजपूत, ब्राह्मण, वैश्य, नाई (सैन) आदि समाजों में कई गोत्र ऐसे हैं जो माता को कुलदेवी के रूप में पूजते है। जात जड़ूले माता के दरबार में करते है। चैत्र और ​अश्विनी मास के नवरात्रों में यहां आस्था का सैलाब उमड़ता है। जीण माता के भजन, जीण माता की आरती, जीण माता चालीसा से भक्त माता को रिझाते है।

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