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जनहित की खबर: जरुरी है जन आधार कार्ड, घर बैठे भी कर सकते है रजिस्ट्रेशन

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जन आधार

आप राजस्थान के निवासी है और अभी तक आपने जन आधार कार्ड नहीं बनवाया है तो देरी ना करें। तत्काल रजिस्ट्रेशन कर लें। सरकार की मंशा है कि ​जितनी भी सरकारी योजनाएं है, उनका लाभ इसी कार्ड से  उपलब्ध कराया जाए।

 

जन आधार ‘एक नंबर, एक कार्ड, एक पहचान’ योजना है। राजस्थान में सरकारी योजनाओं का लाभ इस कार्ड पर मिलेगा। जन आधार के लिए रजिस्ट्रेशन का तरीका सरल है। इंटरनेट सुविधा होने पर रजिस्ट्रेशन अपने मोबाइल या कम्प्युटर से कर सकते है। ई-मित्र पर जाकर भी जन आधार के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया जा सकता है। यह नि:शुल्क है।

हमारे सैन समाज के बहुत से लोग ऐसे हैं जिन्हें इस योजना की जानकारी नहीं है। इस लेख में राजस्थान जन आधार कार्ड क्या है?, जन आधार के लाभ, जन आधार कैसे बनवाएं, जन आधार के लिए जरुरी दस्तावेज पर चर्चा करेंगे। यहां मैं यह भी स्पष्ट करना चाहूंगा कि इस पोस्ट में जो जानकारी है वह 15 मई 2021 तक अपडेट है। अधिक व ताजा जानकारी के लिए राजस्थान सरकार की वेबसाइट पर विजिट कर सकते है।

जन आधार कार्ड क्या है? (Rajasthan Jan Aadhaar Card)

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जन आधार कार्ड योजना लागू की है।  कार्ड को परिवार एवं उसमें शामिल सदस्यों की पहचान और पते दस्तावेज के रूप में मान्यता दी गई है। जन आधार कार्ड में प्रत्येक परिवार को 10 अंकों की एक परिवार पहचान संख्या एवं सदस्यों को 11 अंकीय व्यक्तिगत पहचान संख्या दी गई है। यह कार्ड बहुउद्देशीय है । यानि आप राज्य सरकार की विभिन्न जन-कल्याण की योजनाओं का लाभ इस कार्ड से प्राप्त कर सकते है। इन योजनाओं में आवेदन के लिए आपके पास जन आधार नंबर होना जरुरी है। दरअसल, पूर्ववर्ती सरकार ने विभिन्न तरह की 56 योजनाओं के लिए भामाशाह योजना शुरू कर पात्र परिवारों को कार्ड जारी किए थे। भामााशह योजना को दायरा बढ़ा कर उसका नाम जन आधार किया गया है।

जन आधार कार्ड नहीं है, वह क्या करें

अब सवाल उठता है कि बहुत से नागरिक ऐसे हैं जिनके पास जन आधार कार्ड नहीं है। उन्हें क्या करना चाहिए। इस मामले में सरकार ने रियायत दी है। सरकार का कहना है कि जब तक लाभार्थी की जन आधार कार्ड संख्या जारी नहीं हो जाती तब तक वह इस कार्ड के लिए आवेदन के समय प्राप्त नामांकन रसीद का उपयोग कर सकता है। यानि जन आधार कार्ड ना होने की स्थिति में भी नामांकन रसीद संख्या का उपयोग करके विभिन्न योजनाओं का लाभ प्राप्त कर सकते है।

जन आधार कार्ड के लिए पात्रता

  • आवेदक राजस्थान का स्थायी निवासी होना चाहिए।
  • जन आधार कार्ड परिवार द्वारा निर्धारित 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिला को परिवार की मुखिया बनाया जाता है।
  • यदि परिवार में 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिला नही हैं तो 21 वर्ष या उससे अधिक आयु का पुरूष मुखिया हो सकता है।
  • यह कार्ड राजस्थान का निवासी कोई भी व्यक्ति बनवा सकता है।

Online Registration कैसे करें

सरकार ने राजस्थान जन आधार पोर्टल लांच किया है। जो राजस्थान जन आधार कार्ड के लिए आवेदन करना चाहते हैं वह इस पोर्टल पर तय प्रक्रिया को फॉलो कर के आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए आवेदक को सबसे पहले जनाधार कार्ड योजना की ऑफिसियल वेबसाइट https://janapp.rajasthan.gov.in/janaadhaar/citizenDashboard पर जाना होगा।होम पेज पर आपको Jan Adhaar Enrollment का ऑप्शन दिखाई देगा। इस विकल्प पर क्लिक करे। अब आगे का पेज खुल जायेगा इस पेज पर आपको Citizen Registration का ऑप्शन दिखाई देगा इस ऑप्शन पर क्लिक करे।

इस पर क्लिक करने के बाद आपके सामने Application Form खुल जायेगा। इसमें पूछी गयी सभी जानकारी जैसे नाम ,आधार नंबर, मोबाइल नंबर, लिंग और जन्मतिथि भर कर सबमिट का बटन क्लिक करें। इसके साथ ही आपको रजिस्ट्रेशन नंबर मिल जाएगा। अभी यह प्रक्रिया अधूरी है। इसके बाद आपको स्वयं का फोटो, सदस्यों का फोटो, सभी के आधार नंबर, जन्म तारीख आदि जानकारी संबंधी अपने डॉक्यूमेंट अपलोड करने होंगे। इसके बाद आपका आवेदन वैरिफिकेशन के सबमिट होगा। जन आधार कार्ड बनने तक आप रजिस्ट्रेशन नंबर से योजनाओं के लिए आवेदन कर सकते है।

जन-आधार पहचान संख्या मोबाइल पर प्राप्त करने का तरीका

SMS द्वारा

अपनी जन-आधार पहचान संख्या अपने मोबाइल नंबर पर SMS के माध्यम से प्राप्त कर सकते है। निवासी जन-आधार पहचान संख्या को प्राप्त करने हेतु अपनी जन-आधार नामांकन संख्या अथवा आधार संख्या अथवा रजिस्टर्ड मोबाइल नम्बर का उपयोग कर सकता है‚ इसके लिए नागरिक को अपने मोबाइल नम्बर से निम्नलिखित में से किसी एक प्रारूप में 7065051222 पर एस.एम.एस. करना होगा।

 JAN<space>JID<space><15 अंकीय जन आधार नामांकन संख्या>

 JAN<space>JID<space><12 अंकीय आधार संख्या >

 JAN<space>JID<space><10 अंकीय मोबाइल नंबर>

मोबाइल एप द्वारा

निवासी अपनी जन-आधार संख्या और ई-कार्ड मोबाइल एप के माध्यम से प्राप्त कर सकते है। यह मोबाइल एप प्ले स्टोर पर “Jan Aadhaar” नाम से उपलब्ध है।

लिंक – https://play.google.com/store/apps/details?id=com.risl.janaadhaarapp

उम्मीद है यह जानकारी आपको पसंद आई होगी। सैन (नाई) समाज के ताजा सामाचार प्राप्त करने के लिये फेसबुक पर लाइक करें और ट्विटर पर फॉलो करें। सैन समाज से जुड़ी जानकारी एवं समाचार आप हमारे माध्यम से पूरे समाज के साथ शेयर करें। यदि आपके पास कोई जानकारी या सूचना है तो हमें आवश्य भेजे। WHATSAPP NO. 8003060800.

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टिकटों के लिए सभी जातियां बना रहीं है दबाव, सैन समाज को भी प्रयास करने चाहिए

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राजस्थान में सैन यानि नाई समाज अति पिछड़ा वर्ग में शामिल है। इस समाज की बहुलता वाला कोई क्षेत्र विशेष नहीं है। इसलिए राजनीतिक दलों के स्तर पर हमेशा से उपेक्षा होती रही है। किशनाराम नाई, विमल भाटी, राजेंद्र ​सैन, महेंद्र गहलोत,प्रभु सैन ऐसे जुझारू नेता है जो टिकट के लिए दावेदार है। सूरतगढ़ में प्रभु सैन ने अपना बायोडेटा दिया है। वे क्षेत्र में काफी स​क्रिय है और उनकी पकड़ अन्य समाजों में भी है। वहीं, डूंगरगढ़ में किशनाराम नाई की भाजपा में वापसी भी समाज के लिए शुभ संकेत है। जयपुर में राजेंद्र सैन कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता है। उनके लिए भी प्रयास किए जाने चाहिए।

जातियां गेमचेंजर की भूमिका निभाती है

राजस्थान में 200 विधानसभा क्षेत्रों में से  90 सीट ऐसी मानी जाती हैं जहां जातियां गेमचेंजर की भूमिका निभाती है। सत्ता तक पहुंचने की चाबी भी इनके हाथ रहती है। यहीं वजह है चुनाव से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी प्रमुख जातियों के नाम से बोर्ड का गठन कर इन्हे साधने की कोशिश की। वहीं, ये जातियां भी संख्याबल के आधार पर राजनीतिक दलों से टिकटों की मांग कर रही हैं।

महाकुंभ, महासम्मेलन, महारैली, महासंगम, हुंकार रैली, मैराथन दौड़ जैसे आयोजनों के जरिए शक्ति प्रदर्शन कर राजनीतिक दलों पर ​ज्यादा से ज्यादा टिकट के लिए दबाव बनाए हुए है। इन आयोजनों में भी सामाजिक और जातीय एकता पर जोर देते हुए एक ही संदेश दिया जा रहा है कि पार्टी-वार्टी कुछ नहीं बस, जाति के लोगों को ज्यादा से ज्यादा टिकट मिले। मांग पूरी नहीं करने वाले राजनीतिक दलों को चुनाव में सबक सिखाने जैसी चेतावनी दी जा रही है।
इन आयोजनों और चेतावनी ने सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों की टेंशन को बढ़ा रखा है। जिस हिसाब ये जातियां टिकट मांग रही हैं, उस संख्या में टिकट देने से कई समीकरण बिगड़ सकते है। दरअसल, कुछ बड़ी और प्रभावशाली जातियां ऐसी हैं जहां परस्पर प्रतिस्पर्धा के कारण राजनीतिक पार्टियों के लिए टिकट की संख्या बहुत मायने रखेगी। जाति आधारित जनगणना नहीं होने से किसी जाति या समाज के लोगों की वास्तविक संख्या और उनके प्रभाव क्षेत्रों का कोई सटीक और आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। पिछले चुनाव परिणामों के आधार पर विश्लेषण कर प्रभाव का आकलन किया जाता है। इन तमाम स्थितियों को देखते हुए राजनीतिक दल जातिगत आधार पर टिकट देने से बच रहे है और टिकट घोषणा किस तरह की जाए, इस पर भी मंथन कर रहे है ताकि किसी जाति को यह नहीं लगे कि उसकी उपेक्षा हुई है।

यह है जातिगत समीकरण

राजस्थान में 89 फीसदी आबादी हिंदू, 9 फीसदी मुसलमान और शेष दो फीसदी अन्य धर्मों के लोग है। एससी 18 और एसटी 13 फीसदी है। जाटों की आबादी 12 फीसदी, गुर्जर-राजपूतों की आबादी 9-9 फीसदी, जबकि ब्राह्मण-मीना की आबादी 7-7 फीसदी है। मारवाड़ और शेखावटी में करीब 50 सीटों पर जाट और राजपूत हार—जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। मेवात में 20 सीटों पर गुर्जर, मीणा, जाट और मेव का प्रभाव है। हाड़ौती में 10 सीटों पर ब्राह्मण, जैन और वैश्य समाज तथा मेवाड़ में पाटीदार, पटेल, डांगी, देवासी और आदिवासी एक दर्जन सीटों पर समीकरणों को प्रभावित करते हैं। इन समीकरणों को देखकर भाजपा परिवर्तन यात्रा और नेताओं के दौरे तय कर रही है। परिवर्तन यात्रा का रूट और उनके प्रभारी पदाधिकारी इस पर तय किए हैं कि वे अपने प्रभाव से परम्परागत वोट बैंक को बचाते हुए कांग्रेस के गढ़ में सेंधमारी कर सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अ​मित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और अन्य केंद्रीय मंत्रियों के दौरे एवं कार्यक्रम भी इन्हे देखकर तय किए जा रहे हैं। वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विभिन्न जातियों के बोर्डों का गठन कर जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश की है। जाट जाति के लिए तेजाजी बोर्ड, राजपूत जाति के लिए महाराणा प्रताप और यादव के लिए कृष्ण बोर्ड बनाने की घोषणा हो चुकी है. गुर्जर के लिए देवनारायण बोर्ड, माली के लिए ज्योतिबा फुले , धोबी के लिए रजक, नाई के लिए केश कला, कुम्हार के लिए माटी कला, लोध के लिए अवंति बाई और बंजारा जाति के लिए घुमन्तु अर्ध घुमंतू बोर्ड का गठन किया जा चुका है।

कौन कितने वोट मांग रहा है

सैन समाज

सैन समाज की ओर से भी विभिन्न स्तर पर टिकट की मांग की जा रही है। राजस्थान में श्रीडूंगरगढ़, सूरतगढ़ में सैन समाज के लोगों टिकट प्राप्त करने के लिए सक्रिय है। समाज को कम से कम पांच—पांच टिकट भाजपा और कांग्रेस को ​देने चाहिए।

 राजपूत समाज

क्षत्रिय करणी सेना ने विधानसभा चुनाव में 75—75 सीटों पर राजपूत उम्मीदवारों को टिकट देने की मांग की है। इतने टिकट नहीं देने पर निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतारने की चेतावनी दी है। 8 अक्टूबर को जयपुर में महापड़ाव आयोजित कर शक्ति प्रदर्शन किया जाएगा। राजपूत समाज के अन्य संगठनों द्वारा सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से भी दबाव बनाया जा रहा है। समाज से जुड़े अन्य संगठनों की ओर से पहले भी हुंकार रैली तथा अन्य आयोजनों के माध्यम से टिकट की मांग की जा चुकी है।

 जाट समाज

राजस्थान में जाट समाज आबादी के हिसाब से टिकट की मांग करने के ​साथ ही अगला मुख्यमंत्री जाट समाज से बनाए जाने की रणनीति को लेकर दोनों दलों पर दबाव बनाए हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय जाट समाज के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अप्रेल में मुलाकात की थी। इसके साथ ही, राजनीतिक दलों पर ज्यादा से ज्यादा टिकट की मांग की जा रही है।

ब्राह्मण समाज

ब्राह्मण समाज से जुड़े विभिन्न संगठनों की ओर से पिछले छह महीने में कई बड़े आयोजन जयपुर तथा अन्य शहरों में किए गए। जिनमें प्रत्येक दल से 35 से 40 सीटें ब्राह्मणों को देने की मांग की गई है।

वैश्य समाज

अग्रवाल, वैश्य समाज की ओर से भी महारैली, महासंगम जैसे आयोजन जयपुर में किए गए है और आने वाले समय भी होने है। इनका एक ही मकसद है कि इस वर्ग की टिकट वितरण में कोई राजनीतिक दल उपेक्षा नही करें। वैश्य समाज की ओर से भी जयपुर में आयोजित महाकुंभ में अग्रवाल समाज ने विधानसभा चुनाव में 20—20 टिकट मांगे। साथ ही, राजस्थान में व्यापारी आयोग की स्थापना की मांग की। भाजपा ने सत्ता में आने पर आयोग की मांग पूरी करने का आश्वासन दिया।

 देवासी समाज

देवासी समाज की ओर से जोधपुर में 29 अगस्त को एक बड़ा सम्मेलन कर अपना शक्ति प्रदर्शन किया। महाकुंभ में सरकार के सामने रखीं 5 मांगें रखी और स्पष्ट तौर पर कहा कि जो राजनीतिक दल इन मांगों को नजरंदाज करेगा, उसे चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है। आरक्षण को लेकर मौजूद विसंगतियों को दूर कर देवासी समाज को आरक्षण का लाभ देने, जनसंख्या के अनुपात में देवासी समाज की राजनितिक भागीदारी बढ़ाने, जिला और ब्लॉक स्तर पर देवासी समाज की शिक्षण संस्थाओं का निर्माण कराने, भूमिहीन देवासी समाज के लोगों को जमीन का पट्टा देने और घुमंतु परिवार के बच्चों के लिए प्रदेश भर में आवासीय विद्यालय खोलने की मांग की गई। इस महाकुंभ में पूर्व पशुपालन मंत्री ओटाराम देवासी, पूर्व मंत्री रतनलाल देवासी के साथ-साथ भाजपा के ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सागर रायका, भाजपा प्रदेश महामंत्री सांवला राम देवासी सहित देवासी समाज के कई नामचीन लोग मौजूद थे।

डांगी, पटेल, पाटीदार समाज

पिछले दिनों डांगी, पटेल, पाटीदार समाज का यह सामाजिक चिंतन शिविर उदयपुर के नगर निगम सुखाड़िया रंगमंच पर आयोजित किया गया। इसमें मेवाड़ और वागड़ के साथ गुजरात के डांगी पटेल पाटीदार समाज के लोगों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम समाज के नेताओं ने कहा कि इन दिनों राजीतिक दलों द्वारा समाज के लोगों को राजनीति से दूर कर दिया गया है.ऐसे में समाज एकजुट होकर इस बार उसी को वोट देगा जो समाज के उम्मीदवार को टिकिट देगा। चिंतन शिविर के दौरान समाज के लोगों को उचित दर्जा दिलाने के लिए भी रणनीति तैयार की गई.इसमें शिक्षा बेरोजगारी और महिला उत्थान के लिए समाज एकजुट हो होकर आगे बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया गया। समाज के प्रबुद्ध जनों ने कहा कि जून में एक विशाल महासम्मेलन का आयोजन किया गया।

माली समाज

माली ,सैनी ,कुशवाहा ,मौर्य समाज ने 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर चक्का जाम करते हुए नेशनल हाइवे पर टेंट लगाया था। इसका मकसद एकजुटता दिखना था। माली समाज ने भी कांग्रेस और भाजपा से टिकटों की मांग की है। यह समाज भी 20—20 टिकट की मांग राजनीतिक पार्टियों से कर रहा है।

धाकड़ समाज

कोटा में खड़े गणेश जी स्थित धरणीधर गार्डन पर आयोजित बैठक में धाकड समाज की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की गई। धाकड़ समाज का दावा है कि राजस्थान में 17 विधानसभा क्षेत्रों में धाकड़ समाज और उसके विभिन्न घटकों का बाहुल्य है.ऐसे में विभिन्न राजनीतिक दलों से कम से कम पांच सीटों पर धाकड़ समाज और उसके घटकों को टिकट दिए जाने की मांग की गई।

कुमावत समाज

राजस्थान कुमावत समाज की ओर से जयपुर महापंचायत का आयोजन किया गया। इस महापंचायत के मंच से समाज के नेताओं ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भी अपनी मंशा जाहिर की। समाज की ओर से बीजेपी और कांग्रेस जैसी प्रमुख पार्टियों से 10-10 टिकट की मांग रखी है।

  • योगेश सैन

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जमवाय माता को सैन समाज के कई परिवार मानते है कुलदेवी

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जमवाय माता भगवान राम के पुत्र कुश के वंश कछवाहा की कुलदेवी है। सैन समाज में कुछ परिवार ऐसे हैं जो जमवाय माता को कुलदेवी के रूप में पूजते है।

अयोध्या के राम जन्म भूमि प्रकरण में श्रीराम के वंशज का मामला देशभर में चर्चित है। जयपुर के पूर्व राजघराने की ओर से श्रीराम का वंशज होने का दावा गया गया है। एमपी और पूर्व राजपरिवार की सदस्य दीया कुमारी ने पोथीखाना में उपलब्ध दस्तावेजों के आधार पर यह दावा किया है। उन्होंने कहा कि जयपुर राजपरिवार की गद्दी भगवान राम के पुत्र कुश के वंशजों की है। भगवान राम के पुत्र कुश के वंशज होने से ढूंढाड़ के राजा कछवाहा कहलाने के साथ राम की 309वीं पीढ़ी में मानते हैं।

यह जानकारी का उल्लेख इसलिये किया गया है कि जमवाय माता मुख्यत: कछवाहा वंश की कुलदेवी है। आज भी राजपरिवार के सदस्य यहां ढोंक लगाने जाते है। ऐसा नहीं है कि जमवाय माता केवल कछवाहा वंश की कुलदेवी है। दूसरी जातियों में कई परिवार ऐसे हैं जो माता को कुलदेवी के रूप में पूजते है। सैन समाज में भी कई परिवार ऐसे हैं जो जमवाय माता को कुलदेवी मानते है। खासकर जयपुर, दौसा, अलवर में रहने वाले सैन समाज के कई परिवारों कुलदेवी जमवा माता या जमवाय  माता है। जयपुर निवासी महेश कुमार सैन ने बताया कि उनका गोत्र आमेरिया अजमेरिया है। उनके परिवार में  माता को कुलदेवी के रूप में पूजते है।

जमवाय माता का मंदिर कहां है

जमवाय माता का मंदिर जयपुर शहर से करीब 55 किमी दूर है। मंदिर जयपुर कई साल तक प्यास बुझाने वाले जमवा रामगढ़ बांध से मात्र एक​ किलोमीटर दूर है। आसपास पहाड़ियां है और यह जमवा रामगढ़ वन्यजीव अभयारण्य में आता है। बारिश के दिनों में यहां आसपास झरने बहते है। इन दिनों यहां गोठ और पिकनिक के आयोजन होते है। यहां तक पहुंचने के जयपुर से प्राइवेट और सरकारी बसें उपलब्ध है। जयपुर से नारायणी धाम, अलवर का एक रास्ता भी जमवा माता मंदिर होकर जाता है। नारायणी धाम के लिये जयपुर से पैदल परिक्रमा का पड़ाव भी यहां होता है। नवरात्रों में यहां दर्शनार्थियों की संख्या ज्यादा रहती है।

जमवाय माता की कथा

जयपुर के नजदीक यह इलाका पहले मांच के नाम से जाना जाता था। एक बार राजा दूल्हाराय ने मांच पर हमला कर मीणों से युद्ध किया। इस युद्ध में वे हार गये और रणभूमि में मूर्छित हो कर गिर पड़े। रात में बुढवाय देवी रणभूमि में आई और दूल्हाराय के सिर पर हाथ फेरा। उनकी मूर्छा टूटी तो माता ने खुद को जमवाय नाम से पूजने और मन्दिर बनवाने का वचन मांगा। दूल्हाराय ने मां को वचन पूरा करने का भरोसा दिलाया। उनकी सेना ​जीवित हो गई और फिर उन्होंने मांच पर हमला बोला। इसमें उनकी जीत हुई। इसके बाद ये मंदिर बनवाया।

यहां के बारे में एक और घटना का भी जिक्र मिलता है। राजा कांकील भी मीणों के साथ युद्ध करते हुए सेना के साथ मूर्छित होकर रणक्षेत्र में गिर पड़े। तब भी जमुवाय माता सफेद धेनु (गाय) के रूप में प्रकट हुई। उन्होंने दूध की वर्षा कर पूरी सेना को जीवित कर दिया। माता ने शत्रु पर विजय प्राप्त कर आमेर बसाने की आदेश दिया।

माता के मन्दिर के गर्भगृह में माता की प्रतिमा के दाहिनी तरफ धेनु एवं बछड़े व बायीं ओर बुढ़वाय माता की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर परिसर में शिवालय एवं भैंरव का स्थान भी है। राजा ने अपने आराध्य देव रामचंद्र एवं कुलदेवी जमुवाय के नाम पर मांच का नाम जमुवाय रामगढ़ रखा गया। जो बाद मे जमुवा रामगढ़ के रूप में जाना जाने लगा।

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सैन समाज के कई परिवारों की कुलदेवी है जीण माता

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जीण माता कई परिवार एवं गोत्रों की कुलदेवी है। सैन समाज में भी कई गोत्र ऐसे हैं जो जीण भवानी को कुलदेवी मानते है। जीण माता मां दुर्गा का रूप है।

जीण माता के दरबार में गोपाल मारवाड़ी और उनकी पत्नी

महाराष्ट्र से सैन समाज के गोपाल मारवाड़ी ने जानकारी दी है कि उनका गोत्र जलवानी है। जलवानी गोत्र के कई परिवार कुलदेवी के रूप में जीण माता को पूजते है। रवि चांगिल के अनुसार, उनके भी परिवार में कुलदेवी के रूप में जीण माता को पूजा जाता है। जीण माता के यूं तो देशभर में कई मंदिर है। प्राचीन और असली मंदिर राजस्थान में है। सीकर में गोरिया से कुछ किमी दूर यह भव्य एवं प्राचीन मंदिर स्थित है।

जयपुर से जीण माता की दूरी तकरीबन 115 किमी है। जबकि प्रसिद्ध खाटू धाम से माता का मंदिर 27 किमी. है। जीण माता से सालासर धाम की दूरी करीब 75​ किमी. है। खाटू श्याम जी, जीण माता और सालासर बालाजी के प्रति गहरी धार्मिक आस्था है। इसी वजह से यहां हर दिन भक्त पहुंचते है। मेेले के मौके पर यहां लाखों भक्त पहुंचते है। जीण माता के मंदिर को लेकर एक मान्यता यह भी है कि यह मंदिर पांडवों ने बनाया था। अज्ञातवास का कुछ समय पांडवों ने यहां बिताया था। एक अन्य मान्यता के अनुसार, यह मंदिर करीब 1000 साल पुराना है।

माता के चमत्कार की कई कहानियां है। मुगल शासक औरंगजेब ने इस मंदिर को तोड़ने का प्रयास किया। उसने अपनी सेना यहां भेज दी।  तभी मधुमक्खियों के झुंड ने मुगल सेना पर हमला बोल दिया। सेना को पीछे हटना पड़ा। इतना ही नहीं औरंगजेब भी बीमार पड़ गया। बाद में उसने माता के दरबार में अखंड जोत जलवाने की व्यवस्था का भरोसा दिलवाया, तब वह ठीक हुआ। उसके समय इस परम्परा का निर्वाह हुआ।

जीण माता की कहानी

जीण माता का असली नाम जयंतीमाला था। जीण अपने भाई हर्ष से बेहद प्रेम करती थी। एक बार जीण और उसकी भाभी के बीच बहस छिड़ गई कि हर्ष उनमें से किसको ज्यादा चाहते है। इसकी परीक्षा के लिये उन्होंने तय किया पानी लाते समय हर्ष सबसे पहले जिसके सिर से घड़ा उतारेंगे, उससे ज्यादा प्रेम करते है। दोनों पानी से भरा घड़ा लेकर घर पहुंचती है। दोनों के बीच विवाद से अनजान हर्ष सबसे पहले अपनी पत्नी के सिर से घड़ा उतारते है। यह देखकर जीण को गुस्सा आ जाता है और सब कुछ छोड़कर काजल पर्वत पहुंच जाती है और वहां देवी तपस्या करने लगती है। हर्ष को जब पूरी बात पता चलती है तो दुख होता है। वह जीण को मनाने जाते है लेकिन, जीण अपनी तपस्या तोड़ने को राजी नहीं होती। ऐसे में हर्ष भी पर्वत पर जाकर भैंरों की तपस्या करने लगते है। जीण माता को देवी रूप और हर्ष को भैंरों पद प्राप्त होता है।

सम्मान पा कर अभिभूत हुये बुजुर्ग और प्रतिभाएं

जीण माता के भक्त

जीण माता के प्रति भक्तों में अगाध श्रद्धा है। माता के भक्त पूरे राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, उत्तरप्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात समेत देश के अधिकांश राज्यों में है। विदेशों में भी माता के भक्त हैं। राजपूत, ब्राह्मण, वैश्य, नाई (सैन) आदि समाजों में कई गोत्र ऐसे हैं जो माता को कुलदेवी के रूप में पूजते है। जात जड़ूले माता के दरबार में करते है। चैत्र और ​अश्विनी मास के नवरात्रों में यहां आस्था का सैलाब उमड़ता है। जीण माता के भजन, जीण माता की आरती, जीण माता चालीसा से भक्त माता को रिझाते है।

सैन (नाई) समाज के ताजा सामाचार प्राप्त करने के लिये फेसबुक पर लाइक करें और ट्विटर पर फॉलो करें। सैन समाज से जुड़ी जानकारी एवं समाचार आप हमारे माध्यम से पूरे समाज के साथ शेयर करें। यदि आपके पास कोई जानकारी या सूचना है तो हमें आवश्य भेजे। WHATSAPP NO. 8003060800.

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