Connect with us

News

पदयात्रायें रवाना, जगह-जगह स्वागत से भाव-विभोर हुये पदयात्री

Published

on

नारायणी धाम अलवर के लिये जयपुर, जोबनेर, चौमूं और अन्य कई क्षेत्रों से पदयात्रायें रवाना हुई। समाज के विभिन्न संगठनों और संस्थाओं की ओर से पदयात्रियों का जगह-जगह स्वागत किया गया।

जयपुर। राजधानी जयपुर में आज सैनजी महाराज और नारायणी माता के जैकारे गूंजते रहे। नारायणी धाम अलवर के लिये जयपुर, चौमू, जोबनेर समेत कई इलाकों से पदयात्रायें सोमवार, एकादशी के दिन रवाना हुई।

पदयात्रियों का सुभाष चौक पर स्वागत

सतगुरु श्री सैन जी महाराज, नारायणी धाम अलवर के लिये 23वीं पदयात्रा अजमेर रोड़ डीसीएम से रवाना हुई। केशकला बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष मोहन मोरवाल, नारायणी सेना के अध्यक्ष सुनील गहलोत समेत तथा श्री सैन समाज सेवा समिति एवं श्री नारायणी धाम डीसीएम पदयात्रा प्रबंध समिति के पदाधि​कारियों ने ध्वज पूजा कर पदयात्रियों को रवाना किया।

नारायणी धाम अलवर के लिये जयपुर, जोबनेर, चौमूं और अन्य कई क्षेत्रों से पदयात्रायें रवाना हुई।

श्री बड़े हनुमानजी मंदिर, 80फीट रोड, संजय नगर डीसीएम अजमेर रोड़ जयपुर से रवाना होकर पदयात्री सोड़ाला, अजमेर पुलिया, गवर्नमेंट हॉस्टल, एमआई रोड, सांगानेर गेट, बड़ी चौपड़, सुभाष चौक, जोरावर सिंह गेट, आमेर रोड, रामगढ़ मोड़, बंध की घाटी, रामगढ़ रोड़ स्थित श्रीरामवी हनुमान मंदिर पहुंचे। यहां रात्रि विश्राम होगा। इस दौरान रास्ते में जगह—जगह पदायात्रियों को स्वागत किया गया।

पदयात्रियों का सुभाष चौक पर स्वागत

जोबनेर से आये बड़ी संख्या में पदयात्री डीसीएम पर इस मुख्य पदयात्रा में शामिल हो गये। इसके अतिरिक्त अन्य जगह से भी पदयात्री यहां पहुंचे। सायपुरा, जमवारामगढ़, आंधी, डांगरवाड़ा, नाथावाला, गोला का वास होते हुये 13 सितंबर को अलवर स्थित नारायणी धाम पहुंचेगी।

समिति के अनुसार, पदयात्रा का रात्रि विश्राम 9 सितंबर को श्रीरामवीर हनुमान मंदिर लालवास बन्धा जमवारामगढ़ रोड़, 10 सितंबर को जमवाय माता, 11 सितंबर को तेजाजी मंदिर डांगरवाड़ा, 12 सितंबर को सरसा माता गोला का वास में होगा। 13 सितंबर को पदयात्रा नारायणी धाम पहुंचेगी। जहां भव्य स्वागत होगा। इस अवसर पर भजन संध्या होगी। 14 सितंबर को प्रात: मंगल कलश यात्रा, शोभायात्रा और भंडारे का आयोजन होगा। 13 और 14 सितंबर को नारायणी धाम में विभिन्न स्थानों से पदयात्रायें पहुंचती है और इनका महासंगम होता है। इस अवसर पर हजारों भक्त यहां पवित्र जलधारा में स्नान करते है।

चौमूं से भी रवाना हुई पदयात्रा

नारायणी धाम अलवर के लिये चौमूं से भी पदयात्रा रवाना हुई। शिव शक्ति सैन संगठन, धूणी नाइयों की ढाणी, निवाणा से पदयात्रा रविवार को रवाना हुई। इसमें बड़ी संख्या में पदयात्री शामिल है।

चौमूं से पदयात्रा

 

पांचवी पदयात्रा रवाना

सैन मंदिर, मुरलीपुरा जयपुर से नारायणी धाम के लिये पांचवीं पदयात्रा सोमवार को धूमधाम से रवाना हुई। पदयात्रा गणेश नारायण सैन के नेतृत्व में आयोजित की गई है। पदयात्रा का क्षौरकार विकास समिति एवं सैन समाज विधाधर नगर के पदाधिकारियों ने स्वागत किया।

नारायणी धाम के लिये पांचवीं पदयात्रा

नारायणी धाम के लिये प्रथम पदयात्रा रवाना

जयसिंहपुरा खोर, जयपुर से नारायणी धाम के लिये पदयात्रा रवाना हुई। श्री नारायणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष और भाजपा ओबीसी मोर्चा के प्रदेश मंत्री सुनील गहलोत ने ध्वज पूजन कर पदयात्रा को अलवर के लिये रवाना किया। इस अवसर पर श्री नारायणी सेना के प्रदेश प्रधान महासचिव भगवान सहाय सैन रायसर, सैन सभा अध्यक्ष राजेश चांगिल, उप संरक्षक परसराम दनाऊ, वार्ड 90 के पार्षद ग्यारसी लाल माली, सरोज भाटी, कमलेश श्री माधोपुर आदि का समिति की ओर से लल्लू खोर, लालचंद सैन, राधेश्याम आदि ने स्वागत किया।

जयसिंहपुरा खोर, जयपुर से नारायणी धाम के लिये पदयात्रा रवाना हुई।

सैन (नाई) समाज के ताजा सामाचार प्राप्त करने के लिये फेसबुक पर लाइक करें और ट्विटर पर फॉलो करें। सैन समाज से जुड़ी जानकारी एवं समाचार आप हमारे माध्यम से पूरे समाज के साथ शेयर करें। यदि आपके पास कोई जानकारी या सूचना है तो हमें आवश्य भेजे। WHATSAPP NO. 8003060800.

Spread the love
Advertisement
Click to comment

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

News

कर्पूरी ठाकुर को मिलेगा भारत रत्न मिलेगा

Published

on

कर्पूरी ठाकुर को बिहार के सामाजिक न्याय का मसीहा माना जाता है। उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए जो न केवल बिहार में बल्कि देश में मिसाल बने।

नई दिल्ली। बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न (मरणोपरांत) से सम्मानित किया जाएगा। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उनकी 100वीं जयंती से एक दिन पहले 23 जनवरी को यह घोषणा की। कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री और एक बार डिप्टी सीएम रहे। वे पिछड़े वर्गों के हितों की वकालत करने के लिए जाने जाते थे। कर्पूरी ठाकुर सैन नाई समाज के गौरव है।

कर्पूरी ठाकुर दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे। वे 22 दिसंबर 1970 से 2 जून 1971 और 24 जून 1977 से 21 अप्रैल 1979 तक मुख्यमंत्री रहे। जबकि 5 मार्च 1967 से 31 जनवरी 1968 तक डिप्टी सीएम रहे।

कर्पूरी ठाकुर को बिहार के सामाजिक न्याय का मसीहा माना जाता है। उन्होंने कई ऐसे फैसले लिए जो न केवल बिहार में बल्कि देश में मिसाल बने। देश में सबसे पहले उन्होंने पिछड़ा वर्ग को आरक्षण दिया। पढ़ाई में अंग्रेजी की अनिवार्यता को समाप्त किया। इसके साथ ही उन्होंने मैट्रिक तक की पढ़ाई को भी मुफ्त कर दिया।

उन्होंने बिहार में उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा का दर्जा भी दिया। पिछड़े ही नहीं, अगड़ों को भी 3 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान किया। स्वतंत्रता का संघर्ष हो या जेपी का आंदोलन, कर्पूरी ठाकुर की अग्रणी भूमिका रही।

24 जनवरी को हुआ था कर्पूरी ठाकुर का जन्म

कर्पूरी ठाकुर का जन्म 24 जनवरी 1924 को समस्तीपुर के पितौंझिया गांव में हुआ। उनका निधन 17 फरवरी 1988 को हुआ। वे बिहार के पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री थे। उन्होंने पहली बार 1952 में विधानसभा चुनाव जीता था। समस्तीपुर के पितौंझिया (अब कर्पूरी ग्राम) में 1904 में सिर्फ एक व्यक्ति मैट्रिक पास था। 1934 में 2 और 1940 में 5 लोग मैट्रिक पास हुए थे। इनमें एक कर्पूरी ठाकुर थे। वे ऑस्ट्रिया जाने वाले डेलीगेशन में चुने गए। उनके पास कोट नहीं था। एक दोस्त से मांगा। कोट फटा था। कर्पूरी जी वही कोट पहनकर चले गए। वहां युगोस्लाविया के मार्शल टीटो ने देखा कि उनका कोट फटा है। उन्हें नया कोट गिफ्ट किया।​​​​​​

देश के गरीब को पेंशन मिलती तो बड़ी बात होती

इंदिरा गांधी ने सांसदों-विधायकों को प्रलोभन देते हुए मासिक पेंशन का कानून बनाया था। तब कर्पूरी ठाकुर ने कहा था- मासिक पेंशन देने का कानून ऐसे देश में पारित हुआ है, जहां 60 में 50 करोड़ (तब की आबादी) लोगों की औसत आमदनी साढ़े तीन आने से दो रुपए है। यदि देश के गरीब लोगों के लिए 50 रुपए मासिक पेंशन की व्यवस्था हो जाती, तो बड़ी बात होती।

 

Spread the love
Continue Reading

Feature

टिकटों के लिए सभी जातियां बना रहीं है दबाव, सैन समाज को भी प्रयास करने चाहिए

Published

on

राजस्थान में सैन यानि नाई समाज अति पिछड़ा वर्ग में शामिल है। इस समाज की बहुलता वाला कोई क्षेत्र विशेष नहीं है। इसलिए राजनीतिक दलों के स्तर पर हमेशा से उपेक्षा होती रही है। किशनाराम नाई, विमल भाटी, राजेंद्र ​सैन, महेंद्र गहलोत,प्रभु सैन ऐसे जुझारू नेता है जो टिकट के लिए दावेदार है। सूरतगढ़ में प्रभु सैन ने अपना बायोडेटा दिया है। वे क्षेत्र में काफी स​क्रिय है और उनकी पकड़ अन्य समाजों में भी है। वहीं, डूंगरगढ़ में किशनाराम नाई की भाजपा में वापसी भी समाज के लिए शुभ संकेत है। जयपुर में राजेंद्र सैन कांग्रेस के सक्रिय कार्यकर्ता है। उनके लिए भी प्रयास किए जाने चाहिए।

जातियां गेमचेंजर की भूमिका निभाती है

राजस्थान में 200 विधानसभा क्षेत्रों में से  90 सीट ऐसी मानी जाती हैं जहां जातियां गेमचेंजर की भूमिका निभाती है। सत्ता तक पहुंचने की चाबी भी इनके हाथ रहती है। यहीं वजह है चुनाव से पहले मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सभी प्रमुख जातियों के नाम से बोर्ड का गठन कर इन्हे साधने की कोशिश की। वहीं, ये जातियां भी संख्याबल के आधार पर राजनीतिक दलों से टिकटों की मांग कर रही हैं।

महाकुंभ, महासम्मेलन, महारैली, महासंगम, हुंकार रैली, मैराथन दौड़ जैसे आयोजनों के जरिए शक्ति प्रदर्शन कर राजनीतिक दलों पर ​ज्यादा से ज्यादा टिकट के लिए दबाव बनाए हुए है। इन आयोजनों में भी सामाजिक और जातीय एकता पर जोर देते हुए एक ही संदेश दिया जा रहा है कि पार्टी-वार्टी कुछ नहीं बस, जाति के लोगों को ज्यादा से ज्यादा टिकट मिले। मांग पूरी नहीं करने वाले राजनीतिक दलों को चुनाव में सबक सिखाने जैसी चेतावनी दी जा रही है।
इन आयोजनों और चेतावनी ने सत्तारूढ़ कांग्रेस और भाजपा दोनों दलों की टेंशन को बढ़ा रखा है। जिस हिसाब ये जातियां टिकट मांग रही हैं, उस संख्या में टिकट देने से कई समीकरण बिगड़ सकते है। दरअसल, कुछ बड़ी और प्रभावशाली जातियां ऐसी हैं जहां परस्पर प्रतिस्पर्धा के कारण राजनीतिक पार्टियों के लिए टिकट की संख्या बहुत मायने रखेगी। जाति आधारित जनगणना नहीं होने से किसी जाति या समाज के लोगों की वास्तविक संख्या और उनके प्रभाव क्षेत्रों का कोई सटीक और आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है। पिछले चुनाव परिणामों के आधार पर विश्लेषण कर प्रभाव का आकलन किया जाता है। इन तमाम स्थितियों को देखते हुए राजनीतिक दल जातिगत आधार पर टिकट देने से बच रहे है और टिकट घोषणा किस तरह की जाए, इस पर भी मंथन कर रहे है ताकि किसी जाति को यह नहीं लगे कि उसकी उपेक्षा हुई है।

यह है जातिगत समीकरण

राजस्थान में 89 फीसदी आबादी हिंदू, 9 फीसदी मुसलमान और शेष दो फीसदी अन्य धर्मों के लोग है। एससी 18 और एसटी 13 फीसदी है। जाटों की आबादी 12 फीसदी, गुर्जर-राजपूतों की आबादी 9-9 फीसदी, जबकि ब्राह्मण-मीना की आबादी 7-7 फीसदी है। मारवाड़ और शेखावटी में करीब 50 सीटों पर जाट और राजपूत हार—जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते है। मेवात में 20 सीटों पर गुर्जर, मीणा, जाट और मेव का प्रभाव है। हाड़ौती में 10 सीटों पर ब्राह्मण, जैन और वैश्य समाज तथा मेवाड़ में पाटीदार, पटेल, डांगी, देवासी और आदिवासी एक दर्जन सीटों पर समीकरणों को प्रभावित करते हैं। इन समीकरणों को देखकर भाजपा परिवर्तन यात्रा और नेताओं के दौरे तय कर रही है। परिवर्तन यात्रा का रूट और उनके प्रभारी पदाधिकारी इस पर तय किए हैं कि वे अपने प्रभाव से परम्परागत वोट बैंक को बचाते हुए कांग्रेस के गढ़ में सेंधमारी कर सके। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अ​मित शाह, राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और अन्य केंद्रीय मंत्रियों के दौरे एवं कार्यक्रम भी इन्हे देखकर तय किए जा रहे हैं। वहीं, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विभिन्न जातियों के बोर्डों का गठन कर जातीय समीकरणों को साधने की कोशिश की है। जाट जाति के लिए तेजाजी बोर्ड, राजपूत जाति के लिए महाराणा प्रताप और यादव के लिए कृष्ण बोर्ड बनाने की घोषणा हो चुकी है. गुर्जर के लिए देवनारायण बोर्ड, माली के लिए ज्योतिबा फुले , धोबी के लिए रजक, नाई के लिए केश कला, कुम्हार के लिए माटी कला, लोध के लिए अवंति बाई और बंजारा जाति के लिए घुमन्तु अर्ध घुमंतू बोर्ड का गठन किया जा चुका है।

कौन कितने वोट मांग रहा है

सैन समाज

सैन समाज की ओर से भी विभिन्न स्तर पर टिकट की मांग की जा रही है। राजस्थान में श्रीडूंगरगढ़, सूरतगढ़ में सैन समाज के लोगों टिकट प्राप्त करने के लिए सक्रिय है। समाज को कम से कम पांच—पांच टिकट भाजपा और कांग्रेस को ​देने चाहिए।

 राजपूत समाज

क्षत्रिय करणी सेना ने विधानसभा चुनाव में 75—75 सीटों पर राजपूत उम्मीदवारों को टिकट देने की मांग की है। इतने टिकट नहीं देने पर निर्दलीय प्रत्याशी मैदान में उतारने की चेतावनी दी है। 8 अक्टूबर को जयपुर में महापड़ाव आयोजित कर शक्ति प्रदर्शन किया जाएगा। राजपूत समाज के अन्य संगठनों द्वारा सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से भी दबाव बनाया जा रहा है। समाज से जुड़े अन्य संगठनों की ओर से पहले भी हुंकार रैली तथा अन्य आयोजनों के माध्यम से टिकट की मांग की जा चुकी है।

 जाट समाज

राजस्थान में जाट समाज आबादी के हिसाब से टिकट की मांग करने के ​साथ ही अगला मुख्यमंत्री जाट समाज से बनाए जाने की रणनीति को लेकर दोनों दलों पर दबाव बनाए हुए हैं। अंतरराष्ट्रीय जाट समाज के एक प्रतिनिधिमंडल ने इस मांग को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी अप्रेल में मुलाकात की थी। इसके साथ ही, राजनीतिक दलों पर ज्यादा से ज्यादा टिकट की मांग की जा रही है।

ब्राह्मण समाज

ब्राह्मण समाज से जुड़े विभिन्न संगठनों की ओर से पिछले छह महीने में कई बड़े आयोजन जयपुर तथा अन्य शहरों में किए गए। जिनमें प्रत्येक दल से 35 से 40 सीटें ब्राह्मणों को देने की मांग की गई है।

वैश्य समाज

अग्रवाल, वैश्य समाज की ओर से भी महारैली, महासंगम जैसे आयोजन जयपुर में किए गए है और आने वाले समय भी होने है। इनका एक ही मकसद है कि इस वर्ग की टिकट वितरण में कोई राजनीतिक दल उपेक्षा नही करें। वैश्य समाज की ओर से भी जयपुर में आयोजित महाकुंभ में अग्रवाल समाज ने विधानसभा चुनाव में 20—20 टिकट मांगे। साथ ही, राजस्थान में व्यापारी आयोग की स्थापना की मांग की। भाजपा ने सत्ता में आने पर आयोग की मांग पूरी करने का आश्वासन दिया।

 देवासी समाज

देवासी समाज की ओर से जोधपुर में 29 अगस्त को एक बड़ा सम्मेलन कर अपना शक्ति प्रदर्शन किया। महाकुंभ में सरकार के सामने रखीं 5 मांगें रखी और स्पष्ट तौर पर कहा कि जो राजनीतिक दल इन मांगों को नजरंदाज करेगा, उसे चुनाव में नुकसान उठाना पड़ सकता है। आरक्षण को लेकर मौजूद विसंगतियों को दूर कर देवासी समाज को आरक्षण का लाभ देने, जनसंख्या के अनुपात में देवासी समाज की राजनितिक भागीदारी बढ़ाने, जिला और ब्लॉक स्तर पर देवासी समाज की शिक्षण संस्थाओं का निर्माण कराने, भूमिहीन देवासी समाज के लोगों को जमीन का पट्टा देने और घुमंतु परिवार के बच्चों के लिए प्रदेश भर में आवासीय विद्यालय खोलने की मांग की गई। इस महाकुंभ में पूर्व पशुपालन मंत्री ओटाराम देवासी, पूर्व मंत्री रतनलाल देवासी के साथ-साथ भाजपा के ओबीसी मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सागर रायका, भाजपा प्रदेश महामंत्री सांवला राम देवासी सहित देवासी समाज के कई नामचीन लोग मौजूद थे।

डांगी, पटेल, पाटीदार समाज

पिछले दिनों डांगी, पटेल, पाटीदार समाज का यह सामाजिक चिंतन शिविर उदयपुर के नगर निगम सुखाड़िया रंगमंच पर आयोजित किया गया। इसमें मेवाड़ और वागड़ के साथ गुजरात के डांगी पटेल पाटीदार समाज के लोगों ने हिस्सा लिया। कार्यक्रम समाज के नेताओं ने कहा कि इन दिनों राजीतिक दलों द्वारा समाज के लोगों को राजनीति से दूर कर दिया गया है.ऐसे में समाज एकजुट होकर इस बार उसी को वोट देगा जो समाज के उम्मीदवार को टिकिट देगा। चिंतन शिविर के दौरान समाज के लोगों को उचित दर्जा दिलाने के लिए भी रणनीति तैयार की गई.इसमें शिक्षा बेरोजगारी और महिला उत्थान के लिए समाज एकजुट हो होकर आगे बढ़ाने पर विचार-विमर्श किया गया। समाज के प्रबुद्ध जनों ने कहा कि जून में एक विशाल महासम्मेलन का आयोजन किया गया।

माली समाज

माली ,सैनी ,कुशवाहा ,मौर्य समाज ने 12 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर चक्का जाम करते हुए नेशनल हाइवे पर टेंट लगाया था। इसका मकसद एकजुटता दिखना था। माली समाज ने भी कांग्रेस और भाजपा से टिकटों की मांग की है। यह समाज भी 20—20 टिकट की मांग राजनीतिक पार्टियों से कर रहा है।

धाकड़ समाज

कोटा में खड़े गणेश जी स्थित धरणीधर गार्डन पर आयोजित बैठक में धाकड समाज की सामाजिक और राजनीतिक स्थिति पर चर्चा की गई। धाकड़ समाज का दावा है कि राजस्थान में 17 विधानसभा क्षेत्रों में धाकड़ समाज और उसके विभिन्न घटकों का बाहुल्य है.ऐसे में विभिन्न राजनीतिक दलों से कम से कम पांच सीटों पर धाकड़ समाज और उसके घटकों को टिकट दिए जाने की मांग की गई।

कुमावत समाज

राजस्थान कुमावत समाज की ओर से जयपुर महापंचायत का आयोजन किया गया। इस महापंचायत के मंच से समाज के नेताओं ने आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर भी अपनी मंशा जाहिर की। समाज की ओर से बीजेपी और कांग्रेस जैसी प्रमुख पार्टियों से 10-10 टिकट की मांग रखी है।

  • योगेश सैन

Spread the love
Continue Reading

News

Sen Jayanti 2022: 27 अप्रैल को मनाई जाएगी सैन जयंती

Published

on

sain samaj, sen community, nai community india, savita, napit,

संत सेनजी महाराज की जयंती वैशाख कृष्ण द्वादशी को आती है। इस साल यानि वर्ष 2022 में सेन जयंती 27 अप्रैल 2022, बुधवार के दिन है।

नाई समाज के आराध्य संत श्री सैन जी महाराज की जयंती 27 अप्रैल 2022 को धूमधाम से देशभर में मनाई जाएगी।

सैन जयंती के मौके पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की तैयारियां देशभर में शुरु हो गई है। इस दिन विभिन्न शहरों में सैनजी महारजा की शोभायात्रा, कलश यात्राएं, सम्मान समारोह, रक्तदान शिविर आदि कार्यक्रम आयोजित होंगे। सैन इंडिया की ओर से इन आयोजनों का लगातार कवरेज किया जाएगा।

ऐसे में निवेदन हैं कि सैन जयंती के मौके पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों की सूचना आप हम तक आवश्य पहुंचाएं। इनका प्रकाशन सैन इंडिया डॉट कॉम पर किया जाएगा।

 

#sain_jayanti

#ssen_jayanti

#नाई_समाज

Spread the love
Continue Reading
Advertisement

Facebook

कुलदेवी

My Kuldevi4 years ago

श्रीबाण माता को कुलदेवी के रूप में पूजते है ये परिवार

श्री बाण माता का मुख्य मंदिर राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में स्थित है। ब्राह्मणी माता, बायण माता और बाणेश्वरी माता जी...

Feature5 years ago

जमवाय माता को सैन समाज के कई परिवार मानते है कुलदेवी

जमवाय माता भगवान राम के पुत्र कुश के वंश कछवाहा की कुलदेवी है। सैन समाज में कुछ परिवार ऐसे हैं...

Feature5 years ago

सैन समाज के कई परिवारों की कुलदेवी है जीण माता

जीण माता कई परिवार एवं गोत्रों की कुलदेवी है। सैन समाज में भी कई गोत्र ऐसे हैं जो जीण भवानी...

Feature5 years ago

गलाना गांव में है इस गोत्र की कुलदेवी का प्राचीन मंदिर

गलाना गांव में  प्राचीन मंदिर आस्था का केंद्र है। यह गांव कोटा में जिला मुख्यालय से करीब 18 किमी दूर...

Feature5 years ago

भादरिया माता को कुलदेवी के रूप में पूजते है ये

श्री भादरिया माता का मंदिर जन-जन की आस्था का केंद्र है। विभिन्न समाजों में कई परिवारों में माता को कुलदेवी...

Feature5 years ago

कुलदेवी के रूप में होती है ‘मां नागणेची’ की पूजा

कई परिवारों में कुलदेवी के रूप में मां नागणेची की पूजा की जाती है। मां नागणेची को नागणेच्या, चक्रेश्वरी, राठेश्वरी...

Feature5 years ago

इन गोत्रों में कुलदेवी की रूप में पूजी जाती सच्चियाय माता

सैन समाज के विभिन्न गोत्रों की कुलदेवी परिचय की श्रंखला में प्रस्तुत हैं सच्चियाय माता की जानकारी। सच्चियाय माता का...

Feature5 years ago

सैन समाज के इन गोत्रों के लिये खास है हजारों साल पुराना देवी का यह मंदिर

अर्बुदा देवी मंदिर को अधर देवी के नाम से भी जाना जाता है। मां अर्बुदा, मां कात्यायनी का ही रुप...

Feature5 years ago

नारायणी धाम: पानी कितने साल से आ रहा हैं, जानकार रह जायेंगे हैरान

नारायणी धाम पर कुंड से अटूट जलधारा का रहस्य आज भी कोई नहीं जान सका है। पानी की धार लगातार...

Feature5 years ago

कर्मावती कौन थीं और कैसे बन गई नारायणी, जानिये

विजयराय और रामहेती के घर एक बालिका जन्मी। नाम रखा गया कर्मावती। सयानी होने पर उनका विवाह करणेश जी के...

Trending

Don`t copy text!