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Jyotish in Hindi

शादी में बाधक ग्रह दोष: जल्दी शादी के लिये अपनाये ये उपाय

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ज्योतिष के अनुसार कुण्डली में ग्रहों की दशा शादी में देरी के लिये काफी हद तक जिम्मेदार होती है। बहुत से माता-पिता अपनी संतान की शादी समय पर नहीं होने को लेकर परेशान है।

डॉ योगेश व्यास,
ज्योतिषाचार्य(टॉपर)
नेट,पीएच डी(ज्योतिषशात्र)
मो: 8696743637
http://www.jyotishinjaipur.com

लड़के या लड़की की समय पर शादी नहीं होना एक बड़ी समस्या है। कई माता—पिता इस समस्या का सामना कर रहे है। समय पर संतान की शादी नहीं हो तो कुंडली में ग्रह दोष पर विचार करना चाहिये। इस बारे में किसी अच्छे ज्योतिषी की सलाह फायदेमंद साबित हो सकती है।

पिछली पोस्ट में शादी में देरी और शादी होने के बाद दाम्पत्य जीवन में आने वाली समस्याओं को लेकर ग्रह विचार की जानकारी दी थी। इस पोस्ट में कुछ ऐसे सरल उपायों की जानकारी है जिससे विवाह में देरी की समस्या दूर हो सकती है।

जल्दी शादी के उपाय

  • विवाह योग्य युवती और युवक को 1200 ग्राम चने की दाल और सवा लीटर कच्चा दूध सोमवार को दान करना चाहिये। ये टोटका तब तक करें जब तक कि विवाह न हो जाये।
  • विवाह में बाधा से परेशान अविवाहित कन्या जब किसी कन्या के विवाह में जाये और यदि वहाँ पर दुल्हन को मेहँदी लग रही हो तो अविवाहित कन्या कुछ मेहँदी उस दुल्हन के हाथ से लगवा ले। इस टोटके से विवाह की राह में आ रही बाधा दूर होती है।
  • जिन लड़कों का विवाह नहीं हो रहा हो उन्हें श्रीकृष्ण के मंत्र “क्लीं कृष्णाय गोविंदाय गोपीजनवल्लभाय स्वाहा।” का जाप रोजाना 108 बार करना चाहिये। जल्द ही फायदा होगा।
  • जब भी विवाह की बातचीत के लिये अतिथि आये तो उन्हें किस तरह घर में बिठाया जाये, इस पर विशेष ध्यान देना चाहिये। इन अतिथियों को इस प्रकार बिठाये कि उनका मुंह घर के अंदर की तरफ हो और उन्हें द्वार दिखाई ना दे।
  • विवाह योग्य युवक-युवती जिस कमरे में रहते है या जिस पलंग पर सोते है उसके नीचे कबाड़ नहीं रखना चाहिये। इससे विवाह में बाधा उत्पन्न होती है।
  • विवाह से पूर्व लड़का-लड़की मिलना चाहें तो वह इस प्रकार बैठे कि उनका मुख दक्षिण दिशा की ओर न हो।

गुरुवार को करें ये उपाय

  • जिन जातकों का विवाह गुरु के दोष की वजह से नहीं हो पा रहा है उन्हें प्रत्येक गुरुवार को नहाने वाले पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करना चाहिए। भोजन में केसर का सेवन करने से विवाह शीघ्र होने की संभावनाएं बनती है। ऐसे जातकों को अपने साथ एक पीला वस्त्र, रूमाल आदि रखना चाहिये।
  • एक अन्य उपाय ये भी कर सकते है। गुरुवार की शाम को पांच प्रकार की मिठाई, हरी ईलायची का जोडा तथा शुद्ध घी का दीपक जल में अर्पित करना चाहिये। लगातार तीन गुरुवार ये प्रयोग करेंगे तो फायदा नजर आयेगा।
  • एक अन्य उपाय ये भी कर सकते है। गुरुवार की शाम को पांच प्रकार की मिठाई, हरी ईलायची का जोडा तथा शुद्ध घी का दीपक जल में अर्पित करना चाहिये। लगातार तीन गुरुवार ये प्रयोग करेंगे तो फायदा नजर आयेगा।
  • गुरुवार को गाय को आटे के दो पेडे हल्दी लगाकर खिलाना चाहिये। गुड एवं पीली दाल भी खिलाने से भी शुभ फल की प्राप्ति होती है।

सोमवार को करें ये उपाय

  • यदि कन्या की शादी में कोई रूकावट आ रही हो तो पूजा वाले 5 नारियल लें। भगवान शिव की मूर्ती या फोटो के आगे रख कर “ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नमः” मंत्र का पांच माला जाप करें। इसके बाद इन नारीयल को शिव मंदिर में चढ़ा दें।
  • भगवान शिव और पार्वती की आराधना से भी शादी में आ रही बाधा दूर होती है। प्रत्येक सोमवार को प्रात:काल शिवलिंग पर “ऊं सोमेश्वराय नमः” का जाप करते हुए दूध मिले जल को चढाये। वहीं मंदिर में बैठ कर रूद्राक्ष की माला से इसी मंत्र का एक माला जप करे। इस दौरान माता पार्वती का भी ध्यान करें और उनकी पूजा करें।
  • गुरुवार के दिन व्रत रखना चाहिए। केले की पूजा करें और भोजन में पीले रंग की वस्तुयें जैसे चने की दाल, पीले फल, केले खाने, बेसन के लड्डू आदि का प्रयोग करना चाहिये। ॐ ग्रां ग्रीं ग्रों स: गुरूवे नम: ॥ मंत्र का पांच माला प्रति गुरुवार जप करें।

मांगलिक योग

  • अगर किसी का विवाह कुण्डली के मांगलिक योग के कारण नहीं हो पा रहा है, तो ऎसे व्यक्ति को मंगल वार के दिन चण्डिका स्तोत्र का पाठ तथा शनिवार के दिन सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए। इससे भी विवाह के मार्ग की बाधाओं में कमी होती है।

ग्रहों की दशा को दूर करने के इन उपायों का असर जातक की कुंडली में ग्रह दोष की स्थिति पर भी निर्भर करता है।

*ये लेखक के अपने विचार है।

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गणेश चतुर्थी का शुभ मुहूर्त: इस मुहूर्त में करें गणपति की पूजा और स्थापना

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गणेश चतुर्थी का सोमवार, 2 सितंबर को है। गणेश चतुर्थी का इस बार कई शुभ संयोग बने है। शुभ मु​हूर्त में गणपति की स्थापना करने से सुख समृद्धि प्राप्त होती है।

गणेश स्थापना के साथ ही सोमवार से 10 दिवसीय गणेशोत्सव भी शुरू हो जायेगा। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद के शुक्लपक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी का त्योहार मनाया जाता है। इसी तिथि पर भगवान गणेश का जन्म हुआ था। 2 सितंबर, सोमवार की शुरुआत हस्त नक्षत्र में होगी और गणेश प्रतिमाओं की स्थापना चित्रा नक्षत्र में की जाएगी। मंगल के इस नक्षत्र में चंद्रमा होने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। चित्रा नक्षत्र और चतुर्थी तिथि का संयोग 2 सितंबर को सुबह लगभग 8 बजे से शुरू होकर पूरे दिन रहने वाला है।

गणेश प्रतिमाओं की स्थापना का शुभ मुहूर्त

गणेश जी की पूजा दिन में की जाती है। मान्यता है कि भाद्रपद महीने के शुक्लपक्ष की चतुर्थी को मध्याह्न के समय गणेश जी का जन्म हुआ था। गणेश चतुर्थी पर मध्याह्न काल में अभिजित मुहूर्त के संयोग पर गणेश भगवान की मूर्ति की स्थापना करना शुभ रहेगा। सोमवार को अभिजित मुहूर्त सुबह लगभग 11.55 से दोपहर 12.40 तक रहेगा। इसके अलावा पूरे दिन शुभ संयोग होने से सुविधा अनुसार किसी भी शुभ लग्न या चौघड़िया मुहूर्त में गणेश जी की स्थापना की जा सकती है।

गणेश प्रतिमा  स्थापना वह पूजन मुहूर्त के चौघड़िया

सुबह 6:10 से 7:44 बजे तक अमृत

सुबह 9:18 से से 10:52 बजे तक शुभ

दोपहर 2:30 से 3:35 बजे तक चर

दोपहर 3:36 से 5:08 बजे तक लाभ

शाम 5:09 बजे से 6:45 बजे तक अमृत

दोपहर 11:55 से 12:40 बजे तक अभिजीत

एक अन्य मत के अनुसार गणेश पूजा का श्रेष्ठ मुहूर्त

मध्याह्न गणेश पूजा – 11:05 से 13:36

सैन इंडिया डॉट कॉम की ओर से आप सभी को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें

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‘राजयोग’ का मतलब केवल ‘राजा’ बनना ही नहीं, ये भी होता है

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कुंडली में राजयोग हो तो उसका जीवन में विशेष प्रभाव दिखाई पड़ता है। राजयोग क्या होता है और ये जीवन में किस तरह असर डालता है, आइये जानते है।

डॉ योगेश व्यास,
ज्योतिषाचार्य (टॉपर)
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जातक के जीवन में राजयोगों का विशेष प्रभाव देखा जाता है। राजयोग का मतलब ये नहीं कि हर वो जातक जो राजयोग से युक्त है वो राजा ही होगा। कुंडली में राजयोग होने का अर्थ है कि जातक का जीवन- सुखी, समृद्ध, सम्मानित व उन्नतिपूर्ण होगा। राजयोग पांच तरह के होते है। इसलिये पंच महापुरुष राजयोग कहलाते है।

राजयोग जितना प्रबल होगा, उसका लाभ जातक को उतना ही अधिक प्राप्त होता है। इसके उलटे राजयोग का अशुभ ग्रहों से संबंध उसके फल में न्यूनता लाता है। अर्थात, राजयोग कारक ग्रह यदि नीच ग्रह से युक्त हो, खुद अस्त हो, शिशु अवस्था या मृतावस्था में हो या फिर अशुभ भावेश होकर अशुभ ग्रहों के साथ हो तो, उस राजयोग के फल में भी न्यूनता आ जाती है। आइये जानते है पंचमहापुरुष राजयोग के बारे में—

शश राजयोग: धीरे-धीरे सफलता की सीढ़ी चढ़ते हैं

जातक की कुण्डली के केंद्र या त्रिकोण में शनि जब अपनी राशि यानी मकर या कुंभ में होता है अथवा अपनी उच्च राशि तुला में होता है तब शश नामक राजयोग बनता है। इस योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति धीरे—धीरे सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते हुए समाज में यश और प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं। इनका अधीनस्थ लोगों से अक्सर सम्बन्ध भी अच्छा ही देखने को मिलता है।

मालव्य राजयोग: हर काम में भाग्य साथ देता है

जातक की कुण्डली के केंद्र या त्रिकोण में शुक्र वृष, तुला अथवा मीन राशि में होता है तब मालव्य नामक राजयोग बनता है। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति अक्सर सुन्दर और सौभाग्यशाली होता है। प्रसिद्धि इनके साथ ही रहती है। इन जातकों के कार्यों में भाग्य भी साथ देता है।इन्हें जीवन में भौतिकता व प्रेम भी काफी मिलता है।

रूचक राजयोग: शान से जीते हैं

कुण्डली के केंद्र या त्रिकोण में जब मंगल मकर राशि अथवा अपनी राशि मेष या वृश्चिक में होता है तब इस राजयोग का निर्माण होता है। यह योग जिनकी कुण्डली में होता है वह साहसी और किसी दबाव में आकर कोई काम नहीं करते हैं। ऐसे व्यक्ति जहां भी होते हैं लोग इन्हें सम्मान देते हैं। यह शानो-शौकत से रहते हैं। खेलों में अक्सर इनकी रुचि देखने को मिलती है।

हंस राजयोग: राजनीति में सफल रहते है

कुण्डली में केंद्र या त्रिकोण में गुरू जब धनु, मीन अथवा कर्क में राशि में होता है तब हंस नामक राजयोग बनता है। ऐसा व्यक्ति पढ़ने-लिखने में बुद्धिमान होता है। इनकी निर्णय क्षमता अच्छी होती है। राजनीतिक सलाहकार, शिक्षण अथवा प्रबंधन के क्षेत्र में ऐसे लोग बहुत ही कामयाब होते हैं। इनका जीवन वैभवपूर्ण होता है। इनमें मर्यादापूर्ण जीवन शैली भी देखने को अक्सर मिलती है।

भद्र राजयोग: उच्च पद की प्राप्ति होती है

कुण्डली के केंद्र या त्रिकोण में जब बुध मिथुन या कन्या राशि में होता है तब इस राजयोग का निर्माण होता है। इस राजयोग से युक्त जातक बुद्धिमान और व्यवहार कुशल होते हैं। अपने व्यवहार और बुद्धि से लोगों से प्रशंसा प्राप्त करते हैं।स्वयं की बुद्धि और काबलियत से ऐसे लोग कार्य क्षेत्र में उच्च पद प्राप्त करते हैं। वाणी की कुशलता एवं हस्यप्रियता भी अक्सर इनमें देखने को मिलती है।

*ये लेखक के अपने विचार है।

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शादी से पहले और बाद: ऐसी प्रॉब्लम है तो समझें ग्रहों की चाल

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ग्रहों की चाल शादी से पहले और शादी के बाद कई तरह की प्रॉब्लम खड़ी कर देती है। कई बार तो ये स्थिति हो जाती है कि विवाह बस नाममात्र को होकर रह जाता है।

डॉ योगेश व्यास,
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ग्रहों की चाल स्त्री और पुरुष दोनों के वैवाहिक जीवन पर गहरा असर डालते है। दिखने में सब कुछ ठीक होता है लेकिन, फिर भी समस्यायें सामने आती है। कई माता-पिता इस बात से चितिंत रहते है कि उनकी बेटी या बेटे के विवाह की उम्र निकली जा रही है और ​कहीं रिश्ता ही तय नहीं हो पाता। यह जातक की कुंडली में ग्रहों की दशा का प्रभाव हो सकता है।

कई बार विवाह हो जाता है लेकिन, दाम्पत्य जीवन की गाड़ी सही ढंग से नहीं चलती। पति-पत्नी में नहीं बनती। शादीशुदा जिंदगी में दुश्वारियां कम नहीं होती और ऐसा लगता है कि विवाह बस नाममात्र का होकर रह गया। ऐसे में अच्छे ज्योतिषी से पहले ही जन्म कुंडली का अध्ययन करा लेना चाहिए।

आइये जानते हैं कि वो कारण क्या है जिनसे वैवाहिक जीवन प्रभावित हो सकता है-

  • यदि कुण्डली के पंचम भाव मे शनि-राहू व मंगल, सप्तम भाव मे सूर्य-चंद- बुध हों तो विवाह में परेशानी आती है।
  • कुंडली में सप्तम भाव और सप्तमेश दोनों ही पाप ग्रहों से पीड़ित होने पर भी विवाह में बाधा आती है।
  • कुण्डली के सप्तम भाव में चंद – बुध की युति होना भी शादी में बाधाकारक होता है।
  • सप्तमेश का शनि-मंगल और राहू के साथ होने पर वह पीड़ित है और विवाह में परेशानी करता है।
  • सप्तम भाव मे क्रूर ग्रह सूर्य व राहु की युति भी विवाह में बाधाकारक होती है।
  • सप्तम भाव में क्रूर ग्रह हो और उस पर केतु ग्रह की पूर्ण दृष्टि भी शांतिपूर्ण विवाह में बाधा पैदा करती है।
  • कुण्डली में शुक्र नीच का और सप्तमेश अस्त हो तो भी विवाह में बाधा उत्पन्न करता है।
  • लग्न में ग्रहण दोष व सप्तम में क्रूर ग्रह हों तो भी वैवाहिक जीवन में अशांति बने रहने की संभावना बनी रहती हैं।

*ये लेखक के अपने विचार है।

रिश्ता तय करने से पहले क्यों देखते है पैर की उंगलियां

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