कुंडली में राजयोग हो तो उसका जीवन में विशेष प्रभाव दिखाई पड़ता है। राजयोग क्या होता है और ये जीवन में किस तरह असर डालता है, आइये जानते है।

डॉ योगेश व्यास,
ज्योतिषाचार्य (टॉपर)
नेट,पीएच डी(ज्योतिषशात्र)
मो: 8696743637
www.jyotishinjaipur.com
जातक के जीवन में राजयोगों का विशेष प्रभाव देखा जाता है। राजयोग का मतलब ये नहीं कि हर वो जातक जो राजयोग से युक्त है वो राजा ही होगा। कुंडली में राजयोग होने का अर्थ है कि जातक का जीवन- सुखी, समृद्ध, सम्मानित व उन्नतिपूर्ण होगा। राजयोग पांच तरह के होते है। इसलिये पंच महापुरुष राजयोग कहलाते है।
राजयोग जितना प्रबल होगा, उसका लाभ जातक को उतना ही अधिक प्राप्त होता है। इसके उलटे राजयोग का अशुभ ग्रहों से संबंध उसके फल में न्यूनता लाता है। अर्थात, राजयोग कारक ग्रह यदि नीच ग्रह से युक्त हो, खुद अस्त हो, शिशु अवस्था या मृतावस्था में हो या फिर अशुभ भावेश होकर अशुभ ग्रहों के साथ हो तो, उस राजयोग के फल में भी न्यूनता आ जाती है। आइये जानते है पंचमहापुरुष राजयोग के बारे में—
शश राजयोग: धीरे-धीरे सफलता की सीढ़ी चढ़ते हैं
जातक की कुण्डली के केंद्र या त्रिकोण में शनि जब अपनी राशि यानी मकर या कुंभ में होता है अथवा अपनी उच्च राशि तुला में होता है तब शश नामक राजयोग बनता है। इस योग में जन्म लेने वाले व्यक्ति धीरे—धीरे सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते हुए समाज में यश और प्रसिद्धि प्राप्त करते हैं। इनका अधीनस्थ लोगों से अक्सर सम्बन्ध भी अच्छा ही देखने को मिलता है।
मालव्य राजयोग: हर काम में भाग्य साथ देता है
जातक की कुण्डली के केंद्र या त्रिकोण में शुक्र वृष, तुला अथवा मीन राशि में होता है तब मालव्य नामक राजयोग बनता है। इस योग में जन्म लेने वाला व्यक्ति अक्सर सुन्दर और सौभाग्यशाली होता है। प्रसिद्धि इनके साथ ही रहती है। इन जातकों के कार्यों में भाग्य भी साथ देता है।इन्हें जीवन में भौतिकता व प्रेम भी काफी मिलता है।
रूचक राजयोग: शान से जीते हैं
कुण्डली के केंद्र या त्रिकोण में जब मंगल मकर राशि अथवा अपनी राशि मेष या वृश्चिक में होता है तब इस राजयोग का निर्माण होता है। यह योग जिनकी कुण्डली में होता है वह साहसी और किसी दबाव में आकर कोई काम नहीं करते हैं। ऐसे व्यक्ति जहां भी होते हैं लोग इन्हें सम्मान देते हैं। यह शानो-शौकत से रहते हैं। खेलों में अक्सर इनकी रुचि देखने को मिलती है।
हंस राजयोग: राजनीति में सफल रहते है
कुण्डली में केंद्र या त्रिकोण में गुरू जब धनु, मीन अथवा कर्क में राशि में होता है तब हंस नामक राजयोग बनता है। ऐसा व्यक्ति पढ़ने-लिखने में बुद्धिमान होता है। इनकी निर्णय क्षमता अच्छी होती है। राजनीतिक सलाहकार, शिक्षण अथवा प्रबंधन के क्षेत्र में ऐसे लोग बहुत ही कामयाब होते हैं। इनका जीवन वैभवपूर्ण होता है। इनमें मर्यादापूर्ण जीवन शैली भी देखने को अक्सर मिलती है।
भद्र राजयोग: उच्च पद की प्राप्ति होती है
कुण्डली के केंद्र या त्रिकोण में जब बुध मिथुन या कन्या राशि में होता है तब इस राजयोग का निर्माण होता है। इस राजयोग से युक्त जातक बुद्धिमान और व्यवहार कुशल होते हैं। अपने व्यवहार और बुद्धि से लोगों से प्रशंसा प्राप्त करते हैं।स्वयं की बुद्धि और काबलियत से ऐसे लोग कार्य क्षेत्र में उच्च पद प्राप्त करते हैं। वाणी की कुशलता एवं हस्यप्रियता भी अक्सर इनमें देखने को मिलती है।
*ये लेखक के अपने विचार है।
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